शरीर चारदिवारी में बंद हो और मन बाहर भटक रहा हो। ऐसे में घर की कुंडी खटके, दरवाजा खोलने पर जब समस्या समाधान बनकर सामने खड़ी हो तो उस खुशी की अनुभूति शब्दों में प्रगट नहीं की जा सकती। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान छ ऐसे अनुभव सामने आए। प्रवासी श्रमिकों और अन्य जरूरतमंदों की समस्या कुछ ऐसी थी, जिसे किसी के पास जाकर साझा करना उनके लिए मुश्किल था। क्योंकि बीमारी से सुरक्षा के लिए बाहरी आवाजाही रोक दी गई थी। ऐसे में प्रवासी श्रमिकों और आर्थिक रूप से निर्बल परिवारों के सामने भोजन बड़ी समस्या बनकर खड़ी हो गई थी। तब विभिन्न सामाजिक संगठन के लोग बाहर निकलकर समाज के इस वर्ग की चिंता करने लगे। उसमें चौपाल के लोग भी शामिल थे। चौपाल के कार्यकर्ताओं को सामग्री वितरण के दौरान जो अनुभूति मिली, वह उन्हें सदा स्मरण रहेगी।
कारण, चौपाल के कार्यकर्ता जिस घर में सामग्री पहुंचाने गए वहां उन्हें नया अनुभव हासिल आ। गरीब परिवारों का जिस समस्या को लेकर मन अंदर परेशान था, दरवाजे पर समाधान का थैला लिए चौपाल के लोगों को देख कुछ लोग आंसू नहीं रोक पाए। इतना ही नहीं, चौपाल के लोग इन परिवारों को 'हम फिर आएंगे' कहकर उन्हें भविष्य की चिंता से भी मुक्त करके लौटे। सौ से अधिक जगहों पर चौपाल के लोग गए। वहां जिसकी जैसी जरूरत उसे वह सामग्री उपलब्ध कराए। वैसे भी अधिकांश जगहों और वहां रहने वाले लोगों के साथ चौपाल का सीधा जुड़ाव इसलिए है, क्योंकि चौपाल संस्था आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को स्वरोजगार के लिए मदद का काम लम्बे समय से कर रहा है। लिहाजा, इस समाज के साथ उनका संबंध पुराना है।
उन्हें किस जगह पर कितने जरूरतमंद लोग रह रहे हैं यह जानने में कठिनाई इसीलिए नहीं आई। पहले घर-घर जाकर सामग्री दी गई, फिर हर बस्ती के पर जरूरत के हिसाब से जगह निश्चित कर दी गई, जहां पहुंचकर प्रवासी अमिक और अन्य जरूरतमंद लोग राशन और भोजन पैकेट लेने लगे। सारा काम बहुत अनुशासित तरीके से हुआ। सरकार की मंशा के अनुरूप कोविड-19 का प्रसार नहीं होने पाए, इस बात को ध्यान में रखकर शारीरिक दूरी रखने के नियम का पूरा पालन किया गया। चीपाल का हर कर्मयोद्धा जो इस महामारी के बीच सेवा का कार्य करने के लिए मैदान में था, मास्क खुद लगाकर रख रहा था और सामग्री लेने आए हुए व्यक्ति को भी मास्क दिया जा रहा था।
दस्ताना पहनकर सारी सामग्री का वितरण किया गया, सैनिटाइजर की बोतल सभी के पास होती थी। जिससे खरुद के साथ और लोगों का इस संक्रमण से बचाव किया जा सके। डेढ़ माह से ज्यादा समय तक चौपाल के सैकड़ो कार्यकर्ता सुबह से निकल जाते और देर शाम तक सामग्री वितरण का काम करते रहे। सबका बस एक ही संकल्प रहता था कि कोई छूटने नहीं पाए। थकान उनके पास नहीं फटकती थी। क्योंकि सामग्री लेने वाले वर्ग की मुस्कान चौपाल र्यकर्ताओं की ऊर्जा थी। यह क्रम अभी रुका नहीं है। ऐसे सभी जरूरतमंदों तक राशन पहुंचाने का काम सतत चल रहा है। चौपाल के कर्म योद्धाओं द्वारा बिना थके, बिना रुके अभी तक 16,75,400 के पैकेट, 1,45,000 सूखा राशन किट, 2 लाख मास्क बांटा जा चुका है। इसके अलावा विभिन्न जगहों पर राह चलते लोगों को मास्क, सैनिटाइजर की बोतल, भुना चना, पानी की बोतलें दी गई है।
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